ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) कंप्यूटर का सबसे जरूरी हिस्सा होता है। यह एक ऐसा सॉफ़्टवेयर होता है जो कंप्यूटर और उपयोगकर्ता (यूज़र) के बीच पुल का काम करता है। जब हम कंप्यूटर में कोई काम करते हैं जैसे फाइल खोलना, प्रिंटर से कुछ निकालना या इंटरनेट चलाना – इन सबके पीछे ऑपरेटिंग सिस्टम ही काम करता है।
यह कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर को कंट्रोल करता है। बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के कंप्यूटर कुछ भी नहीं कर सकता। यह यूज़र को एक आसान और समझने योग्य इंटरफेस देता है जिससे हम कंप्यूटर को आसानी से चला सकते हैं।
विंडोज़, लिनक्स, मैकओएस और एंड्रॉयड कुछ आम ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम हैं। हर डिवाइस जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल या टैबलेट में कोई न कोई ऑपरेटिंग सिस्टम ज़रूर होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना कंप्यूटर सिर्फ एक डिब्बा है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक खास तरह का सॉफ़्टवेयर होता है जो कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल या टैबलेट जैसे डिवाइस को चलाने में मदद करता है। यह कंप्यूटर के सारे कामों को संभालता है और यूज़र (उपयोगकर्ता) को कंप्यूटर से जुड़ने का एक आसान तरीका देता है।
जब हम कंप्यूटर पर कोई काम करते हैं – जैसे कि गाना सुनना, गेम खेलना, इंटरनेट चलाना या डॉक्युमेंट बनाना – तो ऑपरेटिंग सिस्टम ही वह सॉफ्टवेयर होता है जो इन सब कामों को चलाता और कंट्रोल करता है। यह कंप्यूटर के हार्डवेयर (जैसे कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर) और सॉफ्टवेयर (जैसे ब्राउज़र, वर्ड प्रोसेसर) के बीच तालमेल बैठाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम बिना कंप्यूटर कुछ नहीं कर सकता। यह यूज़र से मिले निर्देशों को समझता है और उन्हें कंप्यूटर की भाषा में बदलकर हार्डवेयर तक पहुँचाता है, ताकि कंप्यूटर सही से काम कर सके।
कुछ लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम हैं:
यह ऑपरेटिंग सिस्टम नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने और चलाने में मदद करता है। इसके जरिए यूज़र नेटवर्क पर फाइल शेयर कर सकते हैं, प्रिंटर इस्तेमाल कर सकते हैं, और दूसरे कंप्यूटर से कनेक्ट हो सकते हैं। यह सिस्टम बड़े ऑफिस, स्कूल या कंपनी में बहुत काम आता है, जहां एक से ज्यादा कंप्यूटर एक नेटवर्क पर होते हैं।
इस सिस्टम में कई कंप्यूटर आपस में जुड़े होते हैं और मिलकर एक काम को जल्दी और अच्छे से पूरा करते हैं। यूज़र को ऐसा लगता है कि वह सिर्फ एक ही कंप्यूटर चला रहा है, लेकिन पीछे से कई सिस्टम एक साथ काम कर रहे होते हैं। यह तेज और स्मार्ट काम के लिए उपयोगी है।
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इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक साथ कई प्रोग्राम रन कर सकते हैं। जब एक प्रोग्राम इनपुट या आउटपुट का इंतजार कर रहा होता है, तब दूसरा प्रोग्राम प्रोसेसर का इस्तेमाल करता है। इससे कंप्यूटर का समय और संसाधन बर्बाद नहीं होते।
इसमें कंप्यूटर एक साथ कई काम कर सकता है, जैसे म्यूजिक चलाना और वर्ड डॉक्युमेंट पर काम करना। यह आजकल के मोबाइल और लैपटॉप में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है। यूज़र को हर काम एक साथ करने की सुविधा मिलती है।
RZT aiOS
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इसमें हर यूज़र को थोड़े-थोड़े समय के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करने दिया जाता है। यह सिस्टम एक समय में कई यूज़र्स को हैंडल कर सकता है। इससे सबको लगेगा कि कंप्यूटर सिर्फ उन्हीं के लिए काम कर रहा है।
इस ऑपरेटिंग सिस्टम में कंप्यूटर में एक से ज्यादा प्रोसेसर होते हैं, जो मिलकर एक काम को तेज़ी से पूरा करते हैं। इससे सिस्टम की स्पीड बढ़ती है और बड़े-बड़े काम जल्दी पूरे हो जाते हैं। यह सिस्टम बड़ी कंपनियों और डाटा प्रोसेसिंग के लिए बहुत उपयोगी होता है।
Core AI OS
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1. यूज़र और कंप्यूटर के बीच पुल: ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर यूज़र और हार्डवेयर के बीच एक पुल यानी सेतु का काम करता है। जब हम कोई काम कंप्यूटर पर करते हैं, जैसे कि माउस क्लिक करना या कोई फाइल खोलना, तो वह काम सीधे हार्डवेयर नहीं समझ पाता।
ऑपरेटिंग सिस्टम बीच में रहकर हमारी बात को हार्डवेयर तक पहुँचाता है और हार्डवेयर के जवाब को फिर हम तक पहुँचाता है। बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के कंप्यूटर को चलाना बहुत मुश्किल होता। यह हमें कंप्यूटर को आसानी से और प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने की सुविधा देता है।
Lubuntu
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2. मल्टीटास्किंग की सुविधा: ऑपरेटिंग सिस्टम एक समय में कई काम करने की सुविधा देता है, जिसे मल्टीटास्किंग कहा जाता है। जैसे अगर आप म्यूजिक सुनते हुए इंटरनेट पर कुछ सर्च कर रहे हैं और साथ में वर्ड डॉक्यूमेंट पर काम कर रहे हैं, तो ये सब एक साथ तभी हो पाता है जब ऑपरेटिंग सिस्टम उन सभी कार्यों को संभाल रहा होता है। यह हर काम को थोड़ा-थोड़ा समय देता है जिससे सब कुछ स्मूदली चलता रहता है। इससे हमारा समय भी बचता है और कंप्यूटर का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर होता है।
3. मेमोरी मैनेजमेंट: ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर की मेमोरी यानी RAM का पूरा ध्यान रखता है। जब हम कोई प्रोग्राम या एप्लिकेशन खोलते हैं, तो उसे काम करने के लिए मेमोरी की ज़रूरत होती है। ऑपरेटिंग सिस्टम यह तय करता है कि कौन-से प्रोग्राम को कितनी मेमोरी मिलेगी और कब मिलेगी।
इससे मेमोरी का सही उपयोग होता है और कंप्यूटर धीमा नहीं पड़ता। जब कोई प्रोग्राम बंद कर दिया जाता है, तो ऑपरेटिंग सिस्टम उसकी मेमोरी वापस खाली कर देता है। इस तरह RAM का सही तरीके से इस्तेमाल होता है।
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4. फाइल मैनेजमेंट: ऑपरेटिंग सिस्टम फाइलों और फोल्डरों को संभालने का काम करता है। कंप्यूटर में जितनी भी फाइलें सेव होती हैं, वे किसी न किसी फोल्डर में होती हैं और उन्हें पढ़ने, लिखने, सेव करने या डिलीट करने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है।
यह फाइलों को एक सिस्टम के तहत स्टोर करता है ताकि यूज़र को उन्हें ढूंढ़ना और इस्तेमाल करना आसान हो। अगर यह फीचर न हो तो फाइलें बिखरी-बिखरी होंगी और कंप्यूटर का इस्तेमाल मुश्किल हो जाएगा।
5. सिक्योरिटी (Security): ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे डेटा और फाइलों की सुरक्षा का काम करता है। यह पासवर्ड, यूज़र लॉगिन और परमिशन जैसे फीचर्स देता है जिससे कोई अनजान व्यक्ति हमारे कंप्यूटर में घुस नहीं सकता। इसके अलावा यह वायरस, मालवेयर और अन्य खतरों से भी बचाने के लिए सिक्योरिटी अपडेट और फायरवॉल जैसे सिस्टम भी देता है। इससे हमारा कंप्यूटर और उसमें मौजूद सभी जानकारी सुरक्षित रहती हैं।
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6. इंटरफेस (Interface): ऑपरेटिंग सिस्टम हमें एक इंटरफेस देता है जिससे हम कंप्यूटर को आसानी से चला सकते हैं। यह दो प्रकार का होता है — ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस (GUI) और कमांड लाइन इंटरफेस (CLI)। GUI में हम आइकन और माउस का इस्तेमाल करके काम करते हैं, जैसे विंडोज़ में।
CLI में हम कीबोर्ड से कमांड टाइप करते हैं, जैसे DOS या Linux टर्मिनल में। इंटरफेस जितना आसान होगा, यूज़र के लिए काम करना उतना ही आसान होगा।
7. प्रोसेसर मैनेजमेंट: ऑपरेटिंग सिस्टम यह भी देखता है कि कंप्यूटर का प्रोसेसर यानी CPU किस काम में कितना समय दे। जब हम एक साथ कई प्रोग्राम खोलते हैं तो प्रोसेसर को तय करना होता है कि पहले कौन-सा काम करे और कितना समय दे। ऑपरेटिंग सिस्टम हर प्रोग्राम को छोटा-छोटा समय देकर यह प्रक्रिया संभालता है। इससे सभी काम सही तरीके से और तेज़ी से पूरे हो पाते हैं। अगर यह मैनेजमेंट न हो तो कंप्यूटर हैंग या स्लो हो सकता है।
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1. प्रोसेसर प्रबंधन (Processor Management): ऑपरेटिंग सिस्टम यह तय करता है कि कंप्यूटर का प्रोसेसर किस समय कौन-सा काम करेगा। जब हम एक साथ कई प्रोग्राम खोलते हैं, जैसे म्यूजिक चलाना, ब्राउज़र खोलना और वर्ड डॉक्यूमेंट पर काम करना, तो प्रोसेसर को हर काम के लिए समय देना होता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम हर प्रोग्राम को थोड़ा-थोड़ा समय देकर उन्हें पूरा करता है। इसे CPU Scheduling कहते हैं। अगर ये काम न हो तो कोई एक प्रोग्राम सारा समय ले सकता है और बाकी प्रोग्राम रुक सकते हैं। इस काम से कंप्यूटर स्मूद तरीके से कई काम कर पाता है।
2. मेमोरी प्रबंधन (Memory Management): जब हम कंप्यूटर में कोई प्रोग्राम खोलते हैं, तो उसे काम करने के लिए मेमोरी यानी RAM की जरूरत होती है। ऑपरेटिंग सिस्टम यह तय करता है कि कौन-से प्रोग्राम को कितनी RAM मिलेगी और कब तक मिलेगी।
जब कोई प्रोग्राम बंद हो जाता है, तो उस मेमोरी को वापस खाली कर दिया जाता है ताकि दूसरा प्रोग्राम उसे इस्तेमाल कर सके। इससे कंप्यूटर की RAM का सही और प्रभावी उपयोग होता है। अगर यह प्रबंधन न हो तो कंप्यूटर स्लो हो सकता है या क्रैश भी कर सकता है।
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3. फाइल प्रबंधन (File Management): ऑपरेटिंग सिस्टम फाइलों और फोल्डरों को संभालता है। यह हमें फाइल सेव करने, खोलने, डिलीट करने और कॉपी-पेस्ट करने की सुविधा देता है। इसके अलावा यह फाइलों को सही जगह पर सुरक्षित रखता है ताकि हम उन्हें आसानी से खोज सकें।
ऑपरेटिंग सिस्टम फाइलों की परमिशन भी सेट करता है कि कौन-सी फाइल किस यूज़र को दिखे या नहीं दिखे। यह पूरे डेटा को एक सिस्टम के तहत व्यवस्थित करता है, जिससे हम कंप्यूटर को आसान और सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल कर सकें।
4. डिवाइस प्रबंधन (Device Management): कंप्यूटर में कई डिवाइस जुड़े होते हैं जैसे कि कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर, स्कैनर आदि। ऑपरेटिंग सिस्टम इन सभी डिवाइस को मैनेज करता है। जब हम माउस से क्लिक करते हैं या प्रिंटर से पेज प्रिंट करते हैं, तो ऑपरेटिंग सिस्टम इन डिवाइस को निर्देश देता है कि क्या करना है। यह हर डिवाइस के लिए एक ड्राइवर का इस्तेमाल करता है जो डिवाइस को सही से चलाने में मदद करता है। इस तरह डिवाइस और कंप्यूटर के बीच बातचीत आसान बन जाती है।
5. यूज़र इंटरफेस देना (User Interface): ऑपरेटिंग सिस्टम हमें एक स्क्रीन या इंटरफेस देता है, जिससे हम कंप्यूटर के साथ बातचीत कर पाते हैं। यह दो प्रकार का होता है — GUI (ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस) और CLI (कमांड लाइन इंटरफेस)। GUI में हम आइकन पर क्लिक करके काम करते हैं जैसे विंडोज़ में, और CLI में हम कमांड टाइप करते हैं जैसे DOS या Linux टर्मिनल में। इस इंटरफेस की मदद से हम फाइल खोलना, प्रोग्राम चलाना, डेटा सेव करना आदि कार्य आसानी से कर सकते हैं।
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यहाँ कुछ लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम (Popular Operating Systems) के नाम दिए गए हैं, जिन्हें दुनियाभर में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है:
यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है विंडोज़, जो माइक्रोसॉफ्ट कंपनी द्वारा बनाया गया है। यह खासतौर पर स्कूल, ऑफिस और घरों में इस्तेमाल होता है। इसका इंटरफेस बहुत आसान होता है।
लिनक्स एक ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है, यानी कोई भी इसे फ्री में इस्तेमाल और बदल सकता है। यह हैकर्स, डेवलपर्स और सर्वर सिस्टम्स के लिए बहुत पसंदीदा होता है।
यह एप्पल कंपनी का ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो सिर्फ मैकबुक और iMac जैसे एप्पल के डिवाइसेस में चलता है। इसका डिज़ाइन और सिक्योरिटी बहुत मजबूत होती है।
यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो गूगल द्वारा बनाया गया है। इसका इस्तेमाल लगभग सभी स्मार्टफोनों में होता है।
यह एप्पल के iPhone और iPad में चलने वाला मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है। यह तेज, सुरक्षित और यूज़र फ्रेंडली होता है।
यह गूगल का ऑपरेटिंग सिस्टम है जो खासतौर पर इंटरनेट ब्राउज़िंग और क्लाउड बेस्ड कामों के लिए होता है। यह ज़्यादातर Chromebook लैपटॉप्स में चलता है।
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यहाँ ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ प्रमुख लाभ हैं:
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ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस का सबसे जरूरी सॉफ्टवेयर होता है जो पूरे सिस्टम को मैनेज करता है। यह हमारे और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच एक ब्रिज की तरह काम करता है, जिससे हम आसानी से कंप्यूटर का इस्तेमाल कर पाते हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम फाइलों को ऑर्गनाइज करता है, अलग-अलग सॉफ्टवेयर को चलाने में मदद करता है, और हमारे डेटा को सुरक्षित रखता है। यह मल्टीटास्किंग की सुविधा देकर एक साथ कई काम करने देता है और हार्डवेयर डिवाइसेस जैसे प्रिंटर, कीबोर्ड, माउस आदि को कंट्रोल करता है।
Windows, Android, Linux, iOS जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना हमारे डिवाइस बेकार हैं, क्योंकि यही सिस्टम को चलाने और यूजर को सभी सुविधाएं देने का काम करता है। सीधे शब्दों में कहें तो, ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर का दिमाग होता है जो हर छोटे-बड़े काम को संभव बनाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्यतः 5 प्रकार के होते हैं: बैच OS, टाइम-शेयरिंग OS, डिस्ट्रीब्यूटेड OS, रियल-टाइम OS और मोबाइल OS।
Windows, Linux, macOS और Android ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम को शॉर्ट में OS भी कहा जाता है।
Linux को आमतौर पर सबसे ज्यादा सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम माना जाता है।
OS के कार्यों में फाइल मैनेजमेंट, मेमोरी मैनेजमेंट, प्रोसेस कंट्रोल, सिक्योरिटी और यूजर इंटरफेस शामिल हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम एक सॉफ्टवेयर होता है जो कंप्यूटर हार्डवेयर और यूजर के बीच काम करने का माध्यम होता है।
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