आजकल के समय में अधिकांध चीजें डिजिटल हो गई हैं। जहां एक ओर ऑनलाइन शॉपिंग का चलन काफी तेजी से बढ़ गया है तो वहीं ऑनलाइन तरीके से पेमेंट करना भी चलन में आ चुका है। आज के इस डिजिटल युग में अब लोग कैश रखना कम पसंद करते हैं।
यही नहीं, अब तो दुकानदार भी ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पेमेंट को स्वीकार करते हैं। ऐसे में अक्सर लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम क्या होता है और इसके फायदे क्या होते हैं? तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम किन्ही दो पार्टीज के बीच फंड्स ट्रांसफर करने का एक डिजिटल तरीका है। इसमें मोबाइल एप्लीकेशन्स, ऑनलाइन बैंकिंग या POS टर्मिनल का इस्तेमाल करके फंड्स ट्रांसफर किए जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम नकद, चेक या डिजिटल करेंसी के मुकाबले फंड्स ट्रांसफर करने के लिए सुरक्षित जरिया होता है। इसे ई-पेमेंट सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम बहुत ही कॉस्ट इफेक्टिव होता है क्योंकि ये ग्राहक को न सिर्फ पेपरलेस पेमेंट करने की सुविधा देता है बल्कि इससे फंड्स भी जल्दी ट्रांसफर होते हैं। ये यूजर्स और बिजनेस के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
कुल मिलाकर इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम एक ऐसा सिस्टम होता है, जिसमें इंटरनेट का इस्तेमाल करके आप किसी को भी कहीं से भी फंड ट्रांसफर कर सकते हैं। जब भी कोई व्यक्ति किसी भी चीज के लिए ऑनलाइन पेमेंट करता है और उसके लिए जो तकनीक को यूज किया जाता है, उसे इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम ही कहते हैं।
Paytm, Google Pay और PhonePe जैसे एप्लीकेशन्स इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम का एक अच्छा उदाहरण हैं। इसे और भी सरल शब्दों में समझा जाए तो जिस भी चीज को खरीदने के लिए कैश के बजाए डिजिटल तरीके से पेमेंट किया जाए तो उसके लिए इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम का यूज किया जाता है।
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इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम मुख्य तौर पर पांच तरीके के होते हैं। आईये जानते हैं इनके बारे में:
आज के समय में डेबिट कार्ड ने हमारे काम को काफी आसान कर दिया है। डेबिट कार्ड हमें किसी भी दुकान या जगह पर अपना कार्ड स्वाइप करके खरीदारी करने की इजाजत देते हैं। ये कार्ड हमारे बैंक खातों से जुड़े होते हैं, जिनकी मदद से हम बिना कैश के डिजिटल तरीके से कर सकते हैं। डेबिट कार्ड के जरिये आप ऑनलाइन शॉपिंग करने के अलावा अपने बिल का पेमेंट कर सकते हैं। इसके अलावा डेबिट कार्ड के जरिये किसी भी बैंक से कैश निकालने की सुविधा भी हमें मिलती है।
क्रेडिट कार्ड भी डेबिट कार्ड की तरह बैंक द्वार जारी किये जाते हैं, लेकिन ये डेबिट कार्ड से थोड़े से अलग होते हैं। ये कार्ड बैंक किसी भी व्यक्ति को उसका क्रेडिट स्कोर देखने के बाद ही जारी करता है क्योंकि इसे जरिये आप कोई भी सामान क्रेडिट यानी उधार पर ले सकते हैं, लेकिन एक निश्चित समय तक आपको ये अमाउंट वापस देना होता है। इसका भुगतान समय पर न करने से न सिर्फ आपका क्रेडिट स्कोर खराब होता है, बल्कि इससे आप बड़ी मुसीबत में भी फंस सकते हैं।
स्मार्ट कार्ड एक प्लास्टिक कार्ड होता है, जिसमें माइक्रोप्रोसेसर चिप लगी होती है। ये चिप किसी भी डेटा को सुरक्षित तरीके से स्टोर और प्रोसेस करने में सक्षम होती है। इसका इस्तेमाल प्रमाणीकरण, पहचान, डेटा स्टोरेज और एप्लिकेशन प्रोसेसिंग के लिए किया जाता है।
आमतौर पर स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा, दूरसंचार और सुरक्षा प्रणालियों में किया जाता है। स्मार्ट कार्ड एन्क्रिप्शन के जरिये सुरक्षा बढ़ाते हैं और पासवर्ड, व्यक्तिगत पहचान और वित्तीय डेटा जैसी संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा करते हैं। इनका व्यापक रूप से सुरक्षित पहुंच, क्रेडिट/डेबिट लेनदेन और इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट को आमतौर पर ई-वॉलेट के रूप में जाना जाता है। ये एक डिजिटल सिस्टम है जोकि सुरक्षित तरीके से यूजर की पेमेंट इनफार्मेशन और पासवर्ड को तरह-तरह के पेमेंट मेथड्स के लिए स्टोर करता है। ई-वॉलेट यूजर्स को कंप्यूटर या स्मार्टफोन का इस्तेमाल करके जल्दी से इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन करने की इजाजत देता है। ई-वॉलेट को बैंक खातों या क्रेडिट/डेबिट कार्ड से जोड़ा जा सकता है।
इसके अलावा आप इसमें कुछ बैलेंस भी मेंटेन कर सकते हैं। इसका व्यापक रूप से ऑनलाइन शॉपिंग, बिल भुगतान, फंड ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पेटीएम, गूगल पे और फोन पे ई-वॉलेट के बेहतरीन उदाहरण हैं। ई-वॉलेट एन्क्रिप्शन और प्रमाणीकरण तकनीकों का इस्तेमाल करके यूजर्स सुविधा और सुरक्षा बढ़ाते हैं।
नेट बैंकिंग ऑनलाइन और इंटरनेट बैंकिंग के नाम से भी जानी जाती है। ये एक डिजिटल सर्विस है, जोकि बैंक द्वारा अपने ग्राहकों को इंटरनेट पर वित्तीय लेनदेन करने की इजाजत देती है। नेट बैंकिंग के जरिये यूजर्स अपने बैंक खाते के बैलेंस को चेक कर सकते हैं, फंड ट्रांसफर कर सकते हैं, लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं और अपने इन्वेस्टमेंट भी मैनेज कर सकते हैं।
नेट बैंकिंग को यूज करने वाले ग्राहकों को ज्यादा बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। नेट बैंकिंग के जरिये यूजर्स अपने बैंक खाते को कभी भी ओपन करके चेक कर सकते हैं।सुरक्षित लॉगिन क्रेडेंशियल, एन्क्रिप्शन और टू-वे ऑथेंटिफिकेशन लेनदेन की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) और रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) जैसे इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर बहुत ही काम की चीजें होती हैं। इनके जरिये फंड्स कुछ ही समय में एक बैंक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर ही हो जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर की सबसे खास बात ये होती है कि इसकी वजह से ग्राहक को बार-बार बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं और वो घर बैठे ही अपने साथ काम निपटा सकते हैं।
ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर के जरिये ग्राहक सीधे अपने खाते से किसी दूसरे खाते में बिना बैंक जाए फंड्स को ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे ग्राहकों का काफी समय बच जाता है और पेमेंट भी होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। अधिकांश लोग बिल पेमेंट के लिए ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर का इस्तेमाल करते हैं। ये रेगुलर और रेकरिंग पेमेंट को संभालने का एक सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका है।
वर्चुअल पेमेंट कार्ड्स फिजिकल डेबिट और क्रेडिट कार्ड के डिजिटल वर्शन को कहा जाता है। इसका इस्तेमाल आप ऑनलाइन खरीदारी करने के लिए कर सकते हैं। वर्चुअल पेमेंट कार्ड्स की सबसे खास बात ये है कि इसका इस्तेमाल करने पर कभी भी असली कार्ड डिटेल्स की जानकारी साझा नहीं की जाती है। वर्चुअल कार्ड्स फ्रॉड के खतरे को कम करने के लिए एक अच्छा ऑप्शन होते हैं।
अगर आप किसी नई वेबसाइट पर खरीदारी कर रहे हैं और उसपर वर्चुअल कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं तो इससे आपके असली कार्ड डिटेल्स की जानकारी वेबसाइट पर साझा नहीं होगी और आप आसानी से किसी शॉपिंग भी कर पाएंगे।
जब भुगतान जानकारी ट्रांसमिट करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) और नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी) तकनीक का इस्तेमाल करके पेमेंट टर्मिनल के पास कार्ड या स्मार्टफोन को टैप करके लेनदेन किया जाता है, तब इस पूरी प्रक्रिया को कांटेक्टलेस पेमेंट किया जाता है।अब बैंक द्वारा ऐसे डेबिट या क्रेडिट कार्ड जारी किये जाते हैं, जोकि कांटेक्टलेस पेमेंट को बढ़ावा देते हैं।
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इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम को आज के समय में बहुत से लोग इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है कि आखिर ये काम कैसे करता है। बता दें कि इसका मुख्य काम दो पार्टियों के बीच फंड ट्रांसफर करना होता है। इसमें एक पार्टी दूसरी पार्टी के खाते में फंड को डिजिटल पेमेंट के जरिये ट्रांसफर करती है। खरीदारी करते समय या फंड ट्रांसफर करते समय यूजर्स अपनी भुगतान जानकारी सिस्टम में दर्ज करते हैं।
फिर ये पेमेंट जानकारी पेमेंट गेटवे को भेजी जाती है, जो यूजर, व्यापारी और वित्तीय संस्थान के बीच एक पुल के रूप में काम करती है। पेमेंट गेटवे भुगतान अनुरोधों को स्वीकृत या अस्वीकार करने में जरूरी भूमिका निभाता है। इसके बाद लेनदेन को प्रोसेस करने से पहले सिस्टम यह सुनिश्चित करने के लिए भुगतान जानकारी को मान्य करता है कि यह सटीक और वैध है।
ट्रांसमिशन के दौरान डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल और एन्क्रिप्शन तकनीकों को इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक भुगतान और भी सुरक्षित हो जाता है। एक बार भुगतान स्वीकृत हो जाने के बाद फंड प्रोसेस हो जाता है और वो यूजर के अकाउंट से व्यापारी के अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है।
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आज के समय में जहां लोगों के पास समय की कमी है, वहां इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट सिस्टम बहुत काम आता है। इससे न सिर्फ आप महज चंद मिनटों में फंड को आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं बल्कि आप दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद व्यक्ति को डिजिटल पेमेंट के जरिये फंड ट्रांसफर कर सकते हैं। ये पारंपरिक तरीकों से बहुत बेहतर है, लेकिन इसे इस्तेमाल करने के कुछ नुकसान भी हैं, जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए।
इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सेवाएं डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म हैं जो इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर फंड ट्रांसफर करने की सुविधा देती हैं। यूजर्स कैश या चेक के बिना क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट और ऑनलाइन बैंकिंग जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके सुरक्षित और तेज तरीके से पेमेंट करने और फिर कोई पेमेंट करने में सक्षम बनाते हैं।
टोटल ट्रांजैक्शन वैल्यू के मामले में चीन डिजिटल पेमेंट में सबसे आगे है। चीन का डिजिटल भुगतान लेनदेन मूल्य 2024 में 3,744 बिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था और अब 2025 में 9.30 ट्रिलियन डॉलर है।
भारत में डिजिटल भुगतान के लिए प्राथमिक नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) रिटेल पेमेंटन प्रणालियों, विशेष रूप से यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यूपीआई सात देशों में चालू है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं।
UPI का मतलब यूनिफ़ाइड पेमेंट इंटरफ़ेस है। ये नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित एक रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम है जो मोबाइल ऐप के जरिये बैंक खातों के बीच तुरंत फंड ट्रांसफर करने की सुविधा देती है।
आरबीआई की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के डिजिटल भुगतान में यूपीआई की हिस्सेदारी बढ़कर अब 83 प्रतिशत हो चुकी है। वहीं, साल 2019 में यूपीआई की हिस्सेदारी सिर्फ 34 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि डिजिटल भुगतान में आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत से घटकर 17 प्रतिशत हो चुकी है।
वैसे तो डिजिटल पेमेंट सिस्टम के कई प्रकार होते हैं, लेकिन कार्ड पेमेंट (डेबिट और क्रेडिट कार्ड), इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर, वर्चुअल पेमेंट कार्ड्स और डिजिटल वॉलेट (ई-वॉलेट) डिजिटल पेमेंट सिस्टम के मुख्य प्रकार हैं, जोकि काफी चलन में हैं।
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