डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) को लेकर अक्सर लोगों के मन में शंका रहती है कि आखिर ये क्या चीज है। ऐसे में काफी लोग इसे सही से समझ नहीं पाते हैं। इसी क्रम में आप यहां इसका सही मतलब आसान शब्दों में समझ सकते हैं। डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को शॉर्ट में डीबीएमएस कहा जाता है और ये एक ऐसा सॉफ्टवेर है जो कि यूजर्स को इफेक्टिव डेटा स्टोरेज, रिट्रीवल और मैनिपुलेशन को सक्षम करते हुए डेटाबेस बनाने, इसे मैनेज और एक्सेस करने की इजाजत देता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम डेटाबेस और एंड-यूजर के बीच एक इंटरफ़ेस की तरह काम करता है, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि डेटा सही से व्यवस्थित है और इसे आसानी से एक्सेस किया जा सके। अगर आपको सॉफ्टवेर डेवलपमेंट में इंटरेस्ट है और आप इसके बारे में अन्य जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए है। यहां आपको डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के बारे में बेसिक नॉलेज आसानी से हासिल हो जाएगी।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम एक सॉफ्टवेर प्रोग्राम होता है जो कि डेटाबेस में डेटा को ऑप्टिमाइज, स्टोर, रिट्रीवल और मैनेज करता है। ये सभी काम करके डीबीएमएस सॉफ्टवेर डेवलपमेंट में जरूरी टूल के तौर पर काम करता है। बताते चलें कि डीबीएमएस को यूज करने के कई फायदे होते हैं। ये न सिर्फ डेटा रिडंडेंसी को कम करता है बल्कि डेटा सिक्यूरिटी को सुनिश्चित करता है।
इसके यूज से डेटा इनकंसिस्टेंसी को दूर भी किया जा सकता है। साथ ही ये यूजर्स को सिक्योर डेटा शेयरिंग करने का ऑप्शन देता है। डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को डेटा इंटीग्रिटी को बनाए रखने के लिए भी यूज किया जाता है।
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डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम एक सॉफ्टवेर एप्लीकेशन प्रोग्राम है, जिसे किसी भी तरीके की जानकारी को स्टोर करने के लिए डेटाबेस बनाने और मैनेज करने के लिए डिजाइन किया गया है। डीबीएमएस का इस्तेमाल करके एक डेवलपर या प्रोग्रामर डेटाबेस में डेटा को डिफाइन कर सकता है, इसे बना सकता है, रिट्रीवल कर सकता है, अपडेट और मैनिपुलेट कर सकता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम डेटा फॉर्मेट, फील्ड नेम, फाइल स्ट्रक्चर, डेटा और रिकॉर्ड स्ट्रक्चर को मैनिपुलेट करता है। वहीं, डेटाबेस को मैनेज करने के अलावा डीबीएमएस अलग-अलग यूजर्स को तरह-तरह की जगहों के लिए डेटा के एक सेंट्रलाइज्ड व्यू का एक्सेस देता है। डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का काम सभी डेटा रिक्वेस्ट को मैनेज करना है, ऐसे में यूजर्स डेटा की फिजिकल लोकेशन और उसमें किस तरह का मीडिया मौजूद है, इसकी चिंता नहीं करते हैं।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम मुख्य तौर पर चार तरह के होते हैं। तो चलिए जानते हैं उनके बारे में:
हाइरार्किकल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम उसे कहते हैं, जहां सभी डेटा एलिमेंट्स का एक-से-अनेक रिलेशनशिप होते हैं। हाइरार्किकल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम ट्री की तरह दिखने वाले स्ट्रक्चर्ड डेटा को व्यवस्थित करने और अलग-अलग डेटा पॉइंट्स के बीच रिलेशनशिप बनाने का काम करते हैं।
इसमें डेटा पॉइंट्स का स्टोरेज यूजर के कंप्यूटर में एक फोल्डर स्ट्रक्चर की तरह है और ये पैरेंट-चाइल्ड फैशन हायरार्की का पालन करता है जहां रूट नोड चाइल्ड नोड को पैरेंट नोड से जोड़ता है।
हाइरार्किकल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम में डेटा को इस तरह से स्टोर किया जाता है कि हर एक रिकॉर्ड के पास सिंगल पैरेंट होता है। सभी रिकार्ड्स पैरेंट और चिल्ड्रेन का डेटा रखते हैं। हाइरार्किकल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को इस्तेमाल करने का एक फायदा ये है कि इसे बहुत आसानी से एक्सेस किया जा सकता है और यूजर्स इसे जल्दी-जल्दी अपडेट कर सकते हैं।
रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम कॉलम और रो की मदद से डेटा को स्टोर करता है। टेबल में हर रो एक रिकॉर्ड को रिप्रेजेंट करती है और हर कॉलम एक विशेषता को रिप्रेजेंट करता है। ये यूजर को रिलेशनल डेटाबेस बनाने, अपडेट करने और मैनेज करने की इजाजत देता है।
SQL एक सामान्य भाषा है जिसका इस्तेमाल रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम से डेटा को पढ़ने, अपडेट करने, बनाने और हटाने के लिए किया जाता है। यह मॉडल टेबल की रो और कॉलम में डेटा को सामान्य बनाने के कांसेप्ट को इस्तेमाल करता है।
नेटवर्क डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम सारे रिकार्ड्स और डेटा को पैरेंट-चाइल्ड रिलेशनशिप के रूप में स्टोर करता है। नेटवर्क मॉडल डेटा ग्राफिक रिप्रजेंटेशन का इस्तेमाल करके डेटा को स्टोर करता है, जिसकी मदद से यूजर कई जगहों को आसानी से एक्सेस कर सकता है।
नेटवर्क डेटाबेस काम्प्लेक्स रिलेशनशिप और हर चाइल्ड को मल्टीपल पेरेंट्स की इजाजत देता है। डेटाबेस रिकॉर्ड्स के एक इंटरकनेक्टेड नेटवर्क जैसा दिखता है। ये मेनी-टू-मेनी रिलेशनशिप्स में डेटा व्यवस्थित करता है।
ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम डेटा को ऑब्जेक्ट्स और क्लासेज की तरह स्टोर करता है। ये किसी भी आइटम को एक नाम, फोन नंबर या क्लास को ग्रुप या ऑब्जेक्ट्स के एक कलेक्शन की तरह दिखाता है। ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम एक तरह का रिलेशनल डेटाबेस है।
यूजर्स इस डेटाबेस का इस्तेमाल तब करना पसंद करते हैं जब उनके पास बड़ी मात्रा में काम्प्लेक्स डेटा होता है जिसके लिए तेज प्रोसेसिंग की जरूरत होती है। जिन एप्लीकेशन्स को ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल करके बनाया जाता है, उनमें कम कोड की जरूरत होती है।
NoSQL डेटाबेस का फुलफॉर्म नॉट ओनली SQL होता है। इसकी गिनती रिलेशनल डेटाबेस में नहीं होती है, जिसकी वजह से NoSQL डेटाबेस में डेटा को टेबल में स्टोर न करके अन्य तरीकों से स्टोर किया जाता है। इस डेटाबेस में डेटा को स्टोर करने के लिए डॉक्युमेंट्स, की-वैल्यू पेयर्स, ग्राफ्स या कॉलम-ओरिएंटेड मॉडल का यूज किया जाता है।
NoSQL डेटाबेस काफी मशहूर हैं और इनका बहुत से कामों के लिए यूज किया जाता है क्योंकि ये काम्प्लेक्स एप्लीकेशन पर सही तरीके से काम करता है। बड़े पैमाने पर डेटा को तेजी से स्टोर करने के अलावा इसे सही से प्रोसेस करने के लिए भी NoSQL डेटाबेस को डिजाइन किया गया है।
डिस्ट्रिब्यूटेड डेटाबेस में डेटा को अलग-अलग नेटवर्क जगहों या मल्टीपल सर्वरों पर डिस्ट्रीब्यूट करके स्टोर किया जाता है। ये सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस से बहुत अलग होता है और इसमें एक ही सर्वर या स्टोरेज में डेटा को रखा जाता है। डिस्ट्रिब्यूटेड डेटाबेस सिस्टम में कई सर्वर पर डेटा को स्टोर किया जाता है।
बताते चलें कि ये सारे सर्वर एक-दूसरे के साथ अच्छे से कनेक्टेड होते हैं। जब कोई यूजर डेटा एक्सेस करता है, तो सिस्टम ये तय करता है कि कौन-सा सर्वर सबसे सही है और फिर उसी से डेटा रिट्रीव किया जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफ़ॉर्म पर क्लाउड डेटाबेस को होस्ट किया जाता है। क्लाउड डेटाबेस ऑन-प्रिमाइसेस डेटाबेस के मुकाबले अधिक स्केलेबल होता है। ये न सिर्फ ज्यादा लचीला बल्कि आसानी से एक्सेसेबिल भी होता है। इसे गूगल क्लाउड जैसे क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स खुद मैनेज करते हैं।
आमतौर पर क्लाउड डेटाबेस SaaS (Software as a Service) मॉडल पर काम करता है। ऐसे में यूजर्स को यहां खुद डेटाबेस को मेंटेन करना नहीं पड़ता है। क्लाउड डेटाबेस का एक्सेस इंटरनेट के जरिए किया जाता है।
ऑपरेशनल डेटाबेस का इस्तेमाल रोज हो रहे बिजनेस के कामों के लिए यूज किया जाता है। बिजनेस में रोजाना कई काम ऐसे होते हैं, जिनके डेटा को स्टोर, मैनेज और अपडेट करने के लिए ऑपरेशनल डेटाबेस का यूज किया जाता है। ऑपरेशनल डेटाबेस की सबसे खास बात ये है कि इसमें आप रीयल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग कर सकते हैं। ऑपरेशनल डेटाबेस को इस तरह डिजाइन किया जाता है ताकि कंपनियों को अपने रोजमर्रा के काम करने में आसानी होती है।
ऑपरेशनल डेटाबेस का मकसद लगातार बदलते डेटा को संभालना है। इस डेटाबेस को ग्राहक लेन-देन, ऑर्डर प्रोसेसिंग, इन्वेंट्री मैनेजमेंट, बैंकिंग सिस्टम, और रिटेल स्टोर्स का डेटा संभालने के लिए यूज किया जाता है। इसे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग डेटाबेस भी कहा जाता है।
सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस में सारे डेटा को एक ही सेंट्रल प्लेस पर स्टोर करके वहीं से मैनेज किया जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि इसमें डेटा को स्टोर करने की लोकेशन एक ही होती है। ये डेटा को मैनेज करने का पारंपरिक तरीका होता है।
आमतौर पर सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस का इस्तेमाल बैंक, गवर्नमेंट ऑफिस और बड़ी कंपनियों में इस्तेमाल होता है। ये डिस्ट्रिब्यूटेड डेटाबेस के ठीक उल्टे तरीके से काम करता है। डिस्ट्रिब्यूटेड डेटाबेस में जहां डेटा को कई जगहों पर स्टोर किया जाता है तो वहीं सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस में डेटा एक ही जगह होता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का एक अन्य प्रकार भी मौजूद है, जिसे डेटा वेयरहाउस के नाम से जाना जाता है। इसकी सबसे खास बात ये है कि डेटा काफी लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। यही नहीं, इसे कोई भी लंबे समय तक एक्सेस कर सकता है। डेटा वेयरहाउस में किसी भी तरीके के डेटा को आसानी से स्टोर किया जा सकता है। डेटा वेयरहाउस का मुख्य काम डेटा के स्टोर करने के साथ इसकी सुरक्षा करना भी है।
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वैसे तो डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को इस्तेमाल करने के कई फायदे होते हैं, लेकिन इस आर्टिकल में उन खास फायदों के बारे में बात की गई है, जिन्हें जानना एक सॉफ्टवेर डेवलपर या प्रोग्रामर के लिए बहुत जरूरी होता है। तो चलिए जानते हैं इसके फायदों के बारे में:
डेटाबेस सवालों के जल्दी जवाब देने के लिए जाना जाता है। ऐसे में अगर आपको किसी सवाल का तुरंत जवाब चाहिए तो इसके लिए आप डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को बेझिझक इस्तेमाल कर सकते हैं। ये न सिर्फ जवाब जल्दी देने में सक्षम है, बल्कि ये डेटा भी एकदम सही देता है, जिसकी वजह से यूजर्स इसके ऊपर आसानी से विश्वास कर सकते हैं।
सही डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को अप्लाई करना ये दर्शाता है कि किसी कंपनी की एक टीम अन्य टीम्स को कैसे प्रभावित करती है। अगर आपने अपने लिए एक सही डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का चुनाव किया है तो इससे आपको कई फायदे होने वाले हैं।
ये न सिर्फ आपका काम आसान करता है बल्कि ये इफेक्टिव डेटा इंटीग्रेशन के लिए भी जाना जाता है। सही डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम में कई सोर्सेज में डेटा को सामान्य करने के साथ-साथ डुप्लिकेट, सेगमेंट को हटाने और कस्टम वर्कफ़्लोज़ में डेटा सेट को समृद्ध करने के लिए फ्लेक्सिबल इंटीग्रेशन ऑप्शन शामिल होते हैं।
इनकंसिस्टेंट डेटा तब होता है जब किसी एक डेटा के अलग-अलग वर्शन के डिटेल्स अलग-अलग जगह मौजूद होते हैं। उदाहरण के तौर पर समझें तो अगर कंपनी की किसी एक ग्रुप के पास जहां क्लाइंट का फोन नंबर है तो वहीं दूसरे ग्रुप के पास उसी क्लाइंट का ईमेल मौजूद है, जबकि तीसरे ग्रुप के पास क्लाइंट का एड्रेस मौजूद है।
ऐसे में अगर आप सही डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इससे न सिर्फ डेटा क्वालिटी बेहतर होती है बल्कि डेटा भी एक जगह सही से व्यवस्थित होता है।
जब हम डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं तो इससे हमारी प्रोडक्टिविटी काफी बढ़ जाती है। एक अच्छा डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम यूजर्स का टाइम अच्छे से मैनेज करने के लिए जाना जाता है। इससे न सिर्फ आपको हाई क्वालिटी कंटेंट मिलता है बल्कि इसमें मौजूद जानकारी भी एक्यूरेट होती है, जिससे क्लाइंट को काफी मदद मिलती है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के बेहतरीन सॉफ्टवेर है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं, जिनके बारे में जानकारी रखना बहुत ही जरूरी है। डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम बहुत ही काम्प्लेक्स होता है। इसे सेट, कॉन्फ़िगर और मैनेज करना बहुत मुश्किल काम है। ऐसे में इसके लिए प्रोफेशनल हायर करने पड़ते हैं।
स्टार्टअप्स और छोटे बिजनेस के लिए डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को मेंटेन करना काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि इसकी लागत काफी ज्यादा होती है और इसे मेंनटेन करना होता है। इसमें इस्तेमाल होने वाले हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, लाइसेंस, अपग्रेड और डेटा सिक्यूरिटी की वजह से इसकी लागत काफी बढ़ जाती है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम की परफॉरमेंस भी एक समस्या है। दरअसल, जब भी बहुत बड़े पैमाने पर डेटा को स्टोर किया जाता है और जब बहुत से यूजर्स एक साथ इसे एक्सेस करते हैं तो डेटाबेस की स्पीड धीमी होने के चांस काफी बढ़ जाते हैं। इसके अलावा कई बार ऐसे मामले भी होते हैं कि बिजली फेलियर हो जाए तो डेटा खुद-ब-खुद डिलीट भी हो सकता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को कई जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है। बैंक, हॉस्पिटल, गवर्नमेंट ऑफिस और कई बिजनेस में इसका इस्तेमाल किया जाता है। कई अस्पतालों और क्लीनिकों में मरीजों के रिकॉर्ड को मेंटेन करने के लिए भी डेटाबेस का यूज किया जाता है। इसके अलावा अस्पतालों और क्लीनिकों में डॉक्टरों की जानकारी और दवाओं की लिस्ट को मेंटेन करने के लिए भी डेटाबेस का इस्तेमाल होता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को लाइब्रेरी, स्कूलों, ग्राहकों के ऑर्डर, भुगतान जानकारी और इन्वेंट्री मैनेज करने के लिए भी यूज किया जाता है। इसके अलावा स्टूडेंट्स, टीचर्स और सरकारी कर्मचारी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही, ई-कॉमर्स, ट्रैवल, लॉजिस्टिक्स ऑनलाइन रिटेल के लिए भी कंपनियां डेटाबेस का इस्तेमाल करती हैं।
निष्कर्ष
अगर आप अपने पर्सनल या प्रोफेशनल काम के लिए डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) का सही इस्तेमाल करना चाहते हैं तो सबसे पहले जरूरी है कि आप इसपर अच्छे से रिसर्च करें और अपने काम के हिसाब से सही डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का चुनाव करें। इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप इसे अच्छे से समझें और सारी जानकारी हासिल करें। इसके बाद आप आप अपनी जरूरत के अनुसार किसी डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम में स्पेशलिस्ट को हायर कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डेटाबेस एक ऐसी जगह है जहाँ जानकारी (डेटा) को अच्छे से जमा और संभाल कर रखा जाता है। DBMS एक सॉफ्टवेयर है जो इस जानकारी को सही तरीके से संभालने में मदद करता है।
डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली एक सॉफ्टवेयर है जो डाटा को स्टोर करने, उसे ढूंढ़ने, बदलने और मिटाने में मदद करता है। यह डाटा को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से संभालता है।
DBMS के पाँच मुख्य घटक होते हैं – डेटा, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, यूजर और प्रोसीजर। डेटा वह जानकारी होती है जिसे डेटाबेस में संग्रहित किया जाता है, जैसे नाम, पते, नंबर आदि। सॉफ्टवेयर वह प्रोग्राम होता है जो डेटा को स्टोर, बदलने और एक्सेस करने में मदद करता है। हार्डवेयर में कंप्यूटर, स्टोरेज डिवाइस और अन्य उपकरण शामिल होते हैं जो DBMS को चलाने के लिए जरूरी होते हैं।
DBMS मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं – हाइरार्किकल, नेटवर्क, रिलेशनल और ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड।
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